शरद पवार का अपनी कुर्सी प्रफुल्ल पटेल और सुप्रिया सुले को सौपना क्या कहता है ?

 

जैसा की ताजा खबर है की शरद पवार जी ने अपनी पार्टी की डोर सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल के हाथों में सौंप दी है, यह जांनना दिलचस्प होगा की उनके भतीजे और पार्टी के शक्तिमान नेता अजित पवार के लिए इसके क्या माएने है ! क्या वे पार्टी के नेपथ्य में धकेल दिए गए हैं या पार्टी की मुख्यधारा से किनारे कर दिए गए हैं I इससे पहले भी कुछ दिन या सप्ताह पहले पवार साहेब ने पुस्तक विमोचन के समय पर स्वयं को पार्टी प्रेजिडेंट के तौर पर से किनारे कर लेने की घोसणा की थी परन्तु पार्टी के अन्य सदस्य इसके लिए तैयार नहीं हुए या उनके विरोध के चलते शरद पवार जी ने अपना इस्तीफा जो उन्होंने देने की घोषणा की थी उसे वापस ले लिया और शायद सही समय का इंतज़ार करने लगे I 

फिर अचानक से ऐसा क्या हुआ जो उन्होंने आज इसकी घोषणा कर ही दी I  अब सवाल उठता है की शरद पवार के इस कदम के बाद पार्टी और अजित पवार का क्या होगा ? क्या अजित पवार को पार्टी का नया नेतृत्व स्वीकार होगा या वो भी शरद पवार के नक़्शे कदम पर चलते हुए अपनी अलग राह बनाएँगे ? गौरतलब है की उनके काका शरद पवार जी ने भी सोनिया गाँधी के नेतृत्व पर सवाल उठाते हुए नारायण दत्त तिवारी और संगमा के साथ मिलकर कांग्रेस से बगावत कर अपनी अलग पार्टी खड़ी कर ली थी जो की आज राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नाम से जानी जाती है और महाराष्ट्र के अलावा और भी कुछ प्रदेशो में कुछ पकड़ रखती है I उन्नीस सौ निन्यानवे में बन कर तैयार हुई यह पार्टी जो की शरद पवार की अथक परिश्रम और राजनितिक कौशल के चलते भारतीय राजनितिक परिदृश्य में अहम् स्थान रखती है उसके भविष्य पर निश्चित तौर पर प्रश्न चिन्ह लगता प्रतीति होता है I 

कमोबेश यह मान लिया जाए की अजित पवार के लिए सीनियर पवार का यह निर्णय स्वीकार हो और वे अपनी बेहेन सुप्रिया सुले और पार्टी के कद्दावर नेता प्रफुल्ल पटेल का नेतृत्व स्वीकार कर लेते है तो कुछ हद्द तक उनको और उनकी महत्वकांछा को क्या यह दोनों नेता सीमित रख पाने में सफल होंगे ? अजित दादा पवार जो की एनसीपी की साझेदारी में बानी सरकारों में उप मुख्यमत्री और अन्य महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके है वे क्या खुद को प्रफुल्ल पटेल और सुप्रिया सुले की मेहेरबानी पर ही निर्भर रहेंगे या अपने लिए कोई माकूल पद पार्टी से मांगेंगे जिसके वे हकदार भी हैं क्योंकि इसे कोई भी नकार नहीं सकता की पार्टी को खड़ा करने में उनकी भूमिका बहुत बड़ी है भले ही वो महाराष्ट तक ही सीमित क्यों न हो I वैसे भी एक बार उन्होंने पार्टी से बगावत करते हुए बीजेपी के साथ अल्पावधि के लिए ही सही सरकार बना चुके हैं और उस सरकार में उप मुख्यमंत्री भी रहे है, हालांकि उस बगावत को शक भरी नजरो से भी देखा जाता है I 

एक संभावना यह भी बनती है की सुप्रिया सुले दिल्ली की राजनीती पर खुद को और पार्टी को मजबूत करें और अजित पवार के लिए महाराष्ट छोड़ दिया जाए परन्तु इस स्तिथि में प्रफुल्ल पटेल के लिए क्या बचता है ? क्या वे खुद को पार्टी अध्यक्ष तक सीमित रखते हुए पार्टी को मजबूत करें इसके लिए वे तैयार होंगे या उनकी भी कोई महत्वकांछा आड़े आ सकती है यह तो भविष्य के गर्भ में है I अब एक बार पुनः इस बात पर आते हैं की ऐसी क्या स्तिथि आन पड़ी की सीनियर पवार साहेब को आनन् फानन में अपना छोड़ कर सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को जिम्मेदारी सौपनी पड़ी ? क्या इस निर्णय को लेने में किसी भी प्रकार से अजित पवार से सलाह ली गई या स्वयं से लिया गया निर्णय है ? राजनितिक परिदृश्य में ऐसा माना जाता है की शरद पवार के दिमाग में क्या चल रहा होता है यह उनके करीबियों को भी पता नही होता है टी ऐसी परिस्थिति में सिर्फ अटकलें ही लगाई जा सकती हैं और लग भी रही हैं I हालाँकि यह लेख के लिखे जाने तक अजित पवार ने सीनियर पवार के निर्णय पर अपनी सहमति जताई है परन्तु इस बात को नाकारा नहीं जा सकता है की उनकी हालिया में की गई बगावती तेवर के चलते उनको पार्टी की मुख्यधारा से दरकिनार किया गया है व आने वाले समय में महाराष्ट्र की राजनीति में कुछ धमाके दिखाई व सुनाई दें तो अतिश्योक्ति न होगी I 

https://youtu.be/Nn8odeq3_x0

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